Hard Work vs. Luck || कर्म और भाग्य || Man Me Hai Vishwas
इंसान कहता हैं कि ईश्वर कुछ देगा तो मैं कुछ करुँगा
और ईश्वर कहता हैं कि जब इंसान कुछ करेगा तो मैं कुछ दूंगा
कर्म और भाग्य..
एक पान वाला था। जब भी पान खाने जाओ ऐसा लगता कि वह हमारा ही रास्ता देख रहा हो। हर विषय पर बात करने में उसे बड़ा मज़ा आता। कई बार उसे कहा की भाई देर हो जाती है जल्दी पान लगा दिया करो पर उसकी बात ख़त्म ही नही होती।
एक दिन अचानक कर्म और भाग्य पर बात शुरू हो गई।
तक़दीर और तदबीर की बात सुन मैनें सोचा कि चलो आज उसकी फ़िलासफ़ी देख ही लेते हैं। मैंने एक सवाल उछाल दिया।
मेरा सवाल था कि आदमी मेहनत से आगे बढ़ता है या भाग्य से
और उसके जवाब से मेरे दिमाग़ के सारे जाले ही साफ़ हो गए।
कहने लगा,आपका किसी बैंक में लाकर तो होगा
उसकी चाभियाँ ही इस सवाल का जवाब है। हर लाकर की दो चाभियाँ होती हैं।
एक आप के पास होती है और एक मैनेजर के पास।
आप के पास जो चाभी है वह है परिश्रम और मैनेजर के पास वाली भाग्य।
जब तक दोनों नहीं लगतीं ताला नही खुल सकता।
जब तक दोनों नहीं लगतीं ताला नही खुल सकता।
आप कर्मयोगी पुरुष हैं ओर मैनेजर भगवान।
आप को अपनी चाभी भी लगाते रहना चाहिये। पता नहीं ऊपर वाला कब अपनी चाभी लगा दे।
कहीं ऐसा न हो की भगवान अपनी भाग्यवाली चाभी लगा रहा हो और हम परिश्रम वाली चाभी न लगा पायें और ताला खुलने से रह जाये ।
भगवान कृष्ण ने गीता के माध्यम से कहा है कि मनुष्य के लिए कर्म ही प्रधान है वे कहते हैं तुम कर्म करो, फल की चिंता न करो। क्योकि केवल कर्म करना ही हमारे अधिकार है फल हमारे अधिकार से बाहर है।
हम आज जिस भी जगह है जिस भी मुकाम पे हैं ये सब हमारे चुने हुए फैसलों का परिणाम हैं इसके लिए हम किसी को दोष नहीं दे सकते हैं हमारा जीवन आज जैसे भी हैं उसके सौ प्रतिशत जिम्मेदार हम ही हैं और हमारे जीवन आगे कैसे होगा उसके लिए भी सौ प्रतिशत जिम्मेदार हम ही होंगे कोई और नहीं।
देखिये हम सब को एक दिन मरना हैं ये सबको पता हैं और हम किस दिन मर जायेगे ये
किसी को भी नहीं पता हैं लेकिन फिर भी हम हर पल इस जीवन को बचाने में लगे रहते हैं इसे आप इस तरह से समझ सकते हैं मरना हमारा भाग्य हैं लेकिन फिर भी हम इसे नजरअंदाज करके जीवन के कर्मो को करते रहते हैं।
ये जीवन एक मैच कि तरह हैं, दोनों टीमों को पता होता हैं कि किसी एक की हार तो निश्चित हैं फिर भी सब कर्म रूपी खेल के द्वारा उसे बदलने की कोशिश करते रहते हैं। मैदान में जाने से पहले आपके भाग्य में दो चीजे आ सकती हैं, “हार या जीत” परन्तु किस पर आपका अधिकार होगा ये आपके खेल पे निर्भर करेगा।
अगर कोई टीम ये सोच कर अच्छा नहीं खेलेगी कि बिरोधी टीम ज्यादा ताकतवर हैं तो उनका हारना निश्चित हैं। बस यही बात कर्म और भाग्य पे भी लागू होती हैं भाग्य में जो भी हो देखा जायेगा फिर भी हम कर्मो के द्वारा उसे बदलने की कोशिश करते रहते हैं।
जन्म से हमें क्या मिला हैं ये हमारे भाग्य पे निर्भर करता हैं क्योकि ये हमारे कण्ट्रोल में नहीं हैं, लेकिन अब हम इस जीवन को कैसा बनाते हैं ये सब हमारे हाथ में हैं जो कि हमारे कर्मो के द्वारा किया जायेगा।
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