रिस्क ना लेना ही सबसे बड़ा रिस्क है || The biggest risk is not taking any risk
"सफलता पाने के लिए सोच समझकर खतरे उठाने पड़ते हैं रिस्क लेना पड़ता है खतरे उठाने का यह मतलब नहीं है कि आप बेवकूफी भरी उटपटांग चीजें करें, गैर जिम्मेदाराना बर्ताव करें ।"
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रिस्क ना लेना ही सबसे बड़ा रिस्क है
खतरा ना उठाना ही सबसे बड़ा खतरा है!
रिस्क ना लेना ही सबसे बड़ा रिस्क है!
एक बार किसी ने एक किसान से पूछा क्या क्या तुमने इस मौसम में गेहूं की फसल बोई है किसान ने जवाब दिया नहीं मुझे बारिश ना होने का अंदेशा था ।
उस आदमी ने पूछा क्या तुमने मक्के की फसल बोई है किसान ने जवाब दिया नहीं मुझे डर था कि कीड़े-मकोड़े खा लेंगे तब उस आदमी ने पूछा आखिरकार तुमने बोया क्या है किसान ने जवाब दिया कुछ नहीं मैं कोई खतरा नहीं उठाना चाहता था ।
खतरे हमारे चारों तरफ हैं हैं जीवन में हर पल खतरे ही खतरें हैं । आइए देखें कैसे
- हंसने में बेवकूफ समझे जाने का डर है
- रोने में जज्बाती समझे जाने का डर है
- लोगों से मिलने में नाते जुड़ जाने का डर है
- अपनी भावनाएं प्रकट करने में मन की सच्ची बात खुल जाने का डर है
- अपने विचार अपने सपने लोगों से कहने में उनके चुरा लिए जाने का डर है
- किसी को प्रेम करने पर बदले में प्रेम न पाने का डर है
- जीने में मरने का डर है
- आशा में निराशा का डर है
- कोशिश करने में असफलता का डर है
लेकिन दोस्तों हर जगह रिस्क ही रिस्क है जिंदगी में खतरे ना उठाना ही सबसे बड़ा खतरा है जो व्यक्ति खतरे नहीं उठाता वह न तो कुछ करता है न कुछ पाता है और न ही कुछ बनता है ।
खतरे ना उठाकर जिंदगी में दुख दर्द से तो बच सकते हैं लेकिन वह लोग सीखने, महसूस करने, बदलाव लाने, आगे बढ़ने या प्रेम करने और जीवन जीने को नहीं सीख पाते ।
अगर हम इस डर से कि मुझे दूसरों से खतरा है अपने चारों तरफ एक दीवार बना लेंगे तो वह दीवार हमें खुद को ही कैद कर देगी ।
हम अपने नजरिए की जंजीरों में बंद कर गुलाम बन जाते हैं और अपनी आजादी को खो देते हैं सिर्फ खतरे उठाने वाला इंसान ही सही मायने में आजाद है ।
सफलता पाने के लिए सोच समझकर खतरे उठाने पड़ते हैं रिस्क लेना पड़ता है खतरे उठाने का यह मतलब नहीं है कि आप बेवकूफी भरी उटपटांग चीजें करें, गैर जिम्मेदाराना बर्ताव करें ।
खतरे या रिस्क का मतलब हर इंसान के लिए अलग अलग हो सकता है। हाई स्पीड में गाड़ी चलाना किसी नौसिखिए और ट्रेंड व्यक्ति दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है लेकिन ट्रेंड व्यक्ति के लिए इसे गैर जिम्मेदाराना नहीं माना जा सकता।
जिम्मेदारी पूर्वक खतरे उठाने के लिए हमें ज्ञान, ट्रेनिंग, ध्यान और सेल्फ कॉन्फिडेंस की जरूरत होती है । खतरों का सामना होने पर ये सारी चीजें हमें उसका सामना करने की हिम्मत देती है ।
ऐसा नहीं है खतरा उठाने वाला आदमी कोई भी गलती नहीं करता लेकिन कोशिश ना करना कोशिश करके असफल होने से भी बड़ी गलती है ।
तो रिस्क उठाओ पर जुआ मत खेलो
खतरे उठाने वाले अपनी आंखें खुली करके आगे बढ़ते हैं जबकि जुआ खेलने वाले अंधेरे में तीर चलाते हैं ।
रिस्क ना लेना ही सबसे बड़ा रिस्क है!
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