What causes a child to be spoiled? || बच्चे क्यों बिगड़ते हैं || Man Me Hai Vishwas
औलाद के लिए दौलत छोड़ना या धन इकठ्ठा करना मूर्खता है।
अगर औलाद काबिल है तो वो ऐसे ही कमा लेगा
अगर औलाद नाकाबिल है तो वह इकठ्ठा किये धन को
एक दिन पूरा उड़ा देगा
दोनों ही सूरत में उसके लिए दौलत छोड़ना मूर्खता है।
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बच्चे क्यों बिगड़ते हैं
मां बाप अपने बच्चों को सबसे अच्छा तोहफा दे सकते हैं वह है एक अच्छा माहौल और एक अच्छी बुनियाद परिवार से बच्चों को जो सबसे अच्छी चीज मिल सकती है वह है “बुनियाद”।
एक लड़के का शिष्ट और विनम्र व्यवहार देखकर उसके अध्यापक ने पूछा तुम्हें इतना शिष्ट और विनम्र होना किसने सिखाया लड़के ने जवाब दिया किसी ने नहीं, हमारे परिवार में सब लोग ऐसे ही रहते हैं।
बच्चों की परवरिश के बारे में सुकरात ने क्या खूब कहा है
“प्रिय नागरिकों तुम अपने बच्चों की देखभाल में इतना कम ध्यान क्यों देते हो और दौलत पाने के लिए पत्थरों को तराशने में इतना ज्यादा समय क्यों देते हो जबकि एक दिन यह सब बच्चों के लिए ही छोड़ जाना है”।
कम उम्र में कुछ सीखने में इतनी तकलीफ नहीं होती जितनी कि बड़े होकर अंजान बने रहने में होती है।
बच्चे क्यों बिगड़ते हैं उनके पीछे उनकी परवरिश का ही हाथ है।
“उसे बताइए कि हर चीज की एक कीमत होती है
तो एक दिन वह अपनी ईमानदारी को बेच देगा”
“अगर हम उसे सिखाएंगे कि जिंदगी में कामयाबी ही सब कुछ है तो वह हर तिड़कम करके कामयाब होने की कोशिश करेगा”
“उसे बचपन से वह सब कुछ दीजिए जिसकी उसे चाहत है
लिहाजा वह इस सोच के साथ बड़ा होगा
कि उसकी जरूरतें पूरी करना किसी दूसरे की जिम्मेदारी है”
“जब वह गंदे लफ्जों का इस्तेमाल करें तो
इस
बात
पर
हँसिये
इससे वह खुद को चालाक समझेगा”
“उसे सही दिशा का ज्ञान कराए बिना चुनाव करने की आजादी दीजिए
उसे कभी ना सिखाइए कि हर चुनाव का एक नतीजा भी होता है”
“उसे उसकी गलतियों पर मत डांटिए
यह सोचकर कि वह नाराज हो जाएगा
तो
कोई गलत काम करते हुए पकड़े जाने पर वह सोचेगा
कि समाज उसके खिलाफ है”
“उसका हर काम खुद कीजिए
उसके आसपास बिखरी
हुई
चीजें
जैसे किताबें, जूते,
कपड़े वगैरह खुद उठाइए
नतीजा वह गैर जिम्मेदाराना बनेगा”
“उसकी मौजूदगी में अक्सर झगडे
कीजिये
लिहाजा घर टूटने पर उसे कोई अचरज नहीं होगा”
“वह जितना पैसा मांगे उसे दीजिए
उसे पैसे की कीमत कभी न समझाइए
इस बात का पूरा ध्यान रखिए कि
उसे वैसी दिक्कतों का सामना कभी ना करना पड़े
जिसका सामना हमको करना पड़ा था”
“खाने-पीने और ऐशो आराम की सारी शारीरिक जरूरतों को यह सोचकर पूरा कीजिए कि चीजें ना मिलने पर वह हताश होगा”
“पड़ोसियों और अध्यापकों के सामने यह सोचकर हमेशा उसका पक्ष लीजिए कि हमारे बच्चे के लिए उसके मन में द्वेष है”
“उसे यह सोचकर किसी बात पर मत टोको
कि अनुशासन से उसकी आजादी छिन जाएगी”
“वह जो भी चीजें देखना सुनना चाहे
उसे देखने और सुनने की आजादी दीजिए
उसके शरीर में जाने वाली खुशबू पर तो ध्यान दीजिए
पर उसके मस्तिष्क में कूड़ा जाने दीजिए “
“जब वह किसी असली मुसीबत में फंसे तो
यह कहकर पल्ला झाड़ लीजिए कि
मैंने अपनी ओर से पूरी कोशिश की
पर उसके लिए कुछ कर ना सका”
किसी ने क्या खूब कहा है
औलाद के
लिए दौलत छोड़ना या धन इकठ्ठा करना
मूर्खता है।
अगर औलाद काबिल है तो वो ऐसे ही कमा लेगा
अगर औलाद नाकाबिल है तो वह इकठ्ठा किये धन को
एक दिन पूरा उड़ा देगा
दोनों ही सूरत में उसके लिए दौलत छोड़ना मूर्खता है।
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