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आत्मविश्वास : एक मानसिक एवं आध्यात्मिक शक्ति है। || Man Me Hai Vishwas



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आत्मविश्वास : एक मानसिक एवं आध्यात्मिक शक्ति है। || Man Me Hai Vishwas



नमस्कार दोस्तों आज आपके लिए मैं एक और प्रेरणादायक कहानी लेकर आया हूं इस कहानी का सारा दारोमदार इसके अंत में छुपा हुआ है। इस कहानी में जीवन की एक बहुत बड़ी सीख छुपी हुई है। पूरी कहानी सुनने के बाद आप डिसाइड कीजिए कि इस कहानी से आपको क्या शिक्षा मिली है। यह कहानी किस तरह से आपके जीवन में परिवर्तन ला सकती है।
चलिए दोस्तों शुरू करते हैं।

कहानी है एक ऐसे इंसान की जिसको कि बिजनेस में एक बहुत बड़ा लॉस हो गया। उस बिजनेस में उसने अपना सब कुछ गवा दिया। नुकसान इतना बड़ा था कि भरपाई करना मुश्किल लग रहा था। उसे इस मुसीबत से निकलने का कोई रास्ता नजर नहीं रहा था। मदद करने वालों ने हाथ खड़े कर लिए थे और कोई मदद भी करता तो कितनी, रकम काफी बड़ी थी। जिस वजह से वह व्यक्ति डिप्रेशन में चला गया।

काफी कोशिशों के बाद जब कोई हल नहीं निकला तो आखिरकार हालातों से हारकर उसने आत्महत्या करने की सोची।

उसे कोई चिन्ता नहीं सताती

दोस्तों हम सबके साथ भी कभी कभी ऐसा हुआ होगा जब हम मुसीबत में रहे और निकलने का कोई रास्ता नजर नहीं आया और हमने कोई गलत कदम उठाने कि सोची ताजा उदाहरण आपके सामने है जब एक कंपनी कैफे कॉफी डे के मालिक वीजी सिद्धार्थ ने आत्महत्या की।
पर यहाँ पर एक बड़ा सवाल पैदा होता है कि आपके फैसले से क्या बर्तमान समस्या सॉल्व हो जाएगी जवाब है नहीं।

अपने को खत्म करने के इरादे से एक दिन वह घर से दूर निकल पड़ा चलते-चलते एक पार्क की बेंच पर बैठकर अपने विचारों में खो गया।

अचानक उसने अपने कंधे पर एक हाथ महसूस किया, देखा तो सूट बूट में खड़ा एक सज्जन उसके सामने था उस सज्जन व्यक्ति ने बेंच पर बैठे व्यक्ति से कहा आप काफी उदास नजर रहे हैं क्या मामला है सब ठीक है?

उसने इस पल की उम्मीद नहीं की थी, सहज होते हुए उसने जवाब दिया सब ठीक है। फिर दोनों बैठकर बातें करने लगे बातों ही बातों में उस ब्यक्ति ने उस सज्जन ब्यक्ति को अपनी सारी आप बीती सुना दी।

तो इस पर उस सज्जन व्यक्ति ने कहा मैं आपकी प्रॉब्लम दूर कर सकता हूं आप मुझे बताइए कि आपका कितने का नुकसान हुआ है, मैं इस नुकसान की भरपाई करने के लिए तैयार हूं।
वह ब्यक्ति आश्चर्यचकित था कि कोई अपरिचित भला इतनी बड़ी रकम कैसे दे सकता है खैर उसने सोचा लेने में तो कोई बुराई नहीं है और फिर बाद में लौटा तो सकता हूँ।

उस सज्जन व्यक्ति ने अपनी जेब से चेक बुक निकाली, चेक बुक पर साइन करके बोला कि आपका जितना नुकसान हुआ है आप इस पर वह राशि भर दीजिए और साथ में यह भी का कि मैं आप पर कोई एहसान नहीं कर रहा हूं आप इसे नुकसान की भरपाई कीजिए और जब आपका बिज़नेस फिर से चल पड़े तब आप मेरे पैसे लौटा सकते हैं।

भाई अंधे को क्या चाहिए दो आँखे, उसकी मन मांगी मुराद पूरी हो गयी, वह मन ही मन काफी प्रसन्न हुआ, अब आत्महत्या का विचार त्यागा, उस सज्जन को शुक्रिया किया, और बिदा लेकर घर कि तरफ चल पड़ा।

सारी बात घर वालों से शेयर की, अब उसे लग रहा था कि सब कुछ ठीक हो जायेगा क्योकि ब्लेंक चेक उसके हाथ में था वह तैयारी कर रहा था कि चेक को कैश करा कर सारा कर्जा चुकता कर दे, पर एक विचार उसको परेशान कर रहा था, अंततः उसने एक निर्णय किया उसने सोचा कि ये पैसे किसी और के हैं और मुझे एक दिन लौटाने, हैं क्यों पहले मैं अपनी मेहनत के बल पर बिज़नेस में हुए नुकान की भरपाई करूँ और नहीं कर सका तो पैसें तो है ही मरे पास।

तो इसी सोच के साथ उसने चैक को सम्हाल के कही रख दिया और चल पड़ा अपनी ऑफिस एक आत्मविश्वास के साथ कि अपने बलबूते सब कुछ ठीक करना है, महीने-साल गुजरते गए और आखिर वह दिन गया जब वह ब्यक्ति फिर से अमीर बन गया उसकी कंपनी अब लॉस मेकिंग से प्रॉफिट मेकिंग बन गयी थी

एक दिन घर में अचानक उस ब्लेंक चेक पर उसकी नजर पड़ी, सारी पुरानी यादें ताजा हो गयी, वह निकल पड़ा उस ब्यक्ति को खोजने पर वह नहीं मिला, वह उस ब्लेंक चेक को हमेशा अपने पास रखता था कि कहीं अगर इसका मालिक दिख जाय तो उसे लौटा दूँ, सौभाग्यवश एक दिन पार्क में बैठे हुए उसे वही चेक वाले सज्जन मिल गए, आखों में प्रसन्नता के आंसूं थे, दोनों ने एक दूसरे को पहचान लिया, दोनों ने एक दूसरे का हाल पूछा, बातें की, उस ब्यक्ति ने बतया कि कैसे उनके चेक के बदौलत उन्होंने अपना बिज़नेस दुबारा से खड़ा किया, पर उसने उन पैसों का इस्तेमाल नहीं किया और अब वह चैक लौटाने आया है,

इसी बीच 3-4 लोग उस पार्क में आये और उस ब्लेंक चेक वाले सज्जन को पकड़कर ले जाने लगे इस पर उस ब्यक्ति ने उनको रोककर कहा ये आप लोग इन सज्जन को क्यों पकड़कर ले जा रहे हैं इन्होने क्या किया है इस पर उन 3-4 लोगों ने हंसकर कहा अरे भाई साहब ये आदमी पागलखाने से भागकर आया है और अपने आपको बड़ा पैसें वाला बताकर सबको ब्लेंक चेक बांटता रहता है।

वह ब्यक्ति हक्का बक्का, मानो काटो तो खून नहीं,
कहानी ख़तम

Conclusion:- 

अब आप सोचो क्या होता अगर उस दिन उसने उस चेक को कैश करा लिया होता।
तो कहानी से यही शिक्षा मिलती है

अगर आपने किसी मुसीबत को हराने की ठान तो दुनिया की सारी ताकतें आपकी मदद करने लग जायेंगी।
आपकी मदद आपके अलावा और कोई नहीं कर सकता है, वो आपका आत्मविश्वास ही हैं जो आपको हर मुसीबत से लड़ने की हिम्मत देता हैं। तो बिना लड़े हार मानना बेवकूफी हैं फिर परिणाम जो भी हो देखा जायेगा।

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