स्टीव जॉब्स के अंतिम शब्द || last words of steve jobs in hindi || Man Me...
मरने से कुछ क्षण पहले ही स्टीव जॉब्स ने एक चिट्ठी शेयर की, जिसमें उन्होंने अपनी भावनाओं को व्यक्त करने की पुरजोर कोशिश की थी। इसे पढ़ शायद आज आपकी आंखें नम हो जाएं।
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स्टीव जॉब्स के अंतिम शब्द || last words of steve jobs in Hindi || Man Me Hai Vishwas
स्टीव जॉब्स को कौन नहीं जानता। दुनिया की सबसे बड़ी स्मार्टफोन निर्माता ‘एप्पल’कंपनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स, व्यापार जगत के सबसे सफल लोगों की श्रेणी में आते हैं। बिजनेस को सफल बनाने के लिए लोग इन्हीं के नक्शे कदम पर चलने की कोशिश करते हैं।
एप्पल कंपनी का निर्माण करने के बाद उसे बड़ी ऊंचाईयों तक पहुंचाने वाले स्टीव जॉब्स ही थे। आज भी अगर यह कंपनी निरंतर तरक्की कर रही है, तो इसका सबसे बड़ा श्रेय स्टीव जॉब्स को ही जाता है।
स्टीव जॉब्स को सक्सेसफुल बिजनेसमेन के साथ ही एक बेहद समझदार और सुलझा हुआ इंसान माना जाता है। स्टीव जॉब्स ने एप्पल की स्थापना कर दुनिया को नई मोबाइल क्रांति से रूबरू कराया था।
ऐसा कहा जाता है कि उनके निणर्य मील के पत्थर साबित होते थे। दुनिया भर में अपने नाम का डंका बजवाने वाले स्टीव जॉब्स का जन्म 24 फरवरी 1955 को हुआ था और 5 अक्टूबर 2011 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया था। उनकी मौत पैन्क्रीऐटिक केंसर की वजह से हुई थी।
लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि एप्पल कंपनी को सफल बनाने वाले स्टीव जॉब्स अपने जीवन के आखिरी लम्हों में कैसा महसूस कर रहे थे? एक सफल कंपनी और बिजनेस देने वाले स्टीव जॉब्स यकीनन मरते समय गर्व से भरपूर रहे होंगे, उन्हें अपने कार्य पर गर्व हो रहा होगा।
अगर आप भी ऐसा ही सोचते हैं तो जरा एक नजर उनके द्वारा शेयर की गई चिट्ठी पर भी डालें। यह आपकी सोच बदल देगी।
मरने से कुछ क्षण पहले ही स्टीव जॉब्स ने एक चिट्ठी शेयर की, जिसमें उन्होंने अपनी भावनाओं को व्यक्त करने की पुरजोर कोशिश की थी। इसे पढ़ शायद आज आपकी आंखें नम हो जाएं।
उन्होंने कहा.....
“एक समय था जब मैं व्यापार जगत की ऊंचाईयों को छू चुका था। लोगों की नजरों में मेरी जिंदगी सफलता का एक बड़ा नमूना बन चुकी थी। लेकिन आज खुद को बेहद बीमार और इस बिस्तर पर पड़ा हुआ देखकर मैं कुछ अजीब महसूस कर रहा हूं।
पूरी जिंदगी मैंने कड़ी मेहनत की, लेकिन खुद को खुश करने के लिए या खुद के लिए समय निकालना जरूरी नहीं समझा।
जब मुझे कामयाबी मिली तो मुझे बेहद गर्व महसूस हुआ, लेकिन आज मौत के इतने करीब पहुंचकर वह सारी उपलब्धियां फीकी लग रही हैं।
आज इस अंधेरे में, इन मशीनों से घिरा हुआ हूं। मैं मृत्यु के देवता को अपने बेहद करीब महसूस कर सकता हूं।
आज मन में एक ही बात आ रही है कि इंसान को जब यह लगने लगे कि उसने अपने भविष्य के लिए पर्याप्त कमाई कर ली है, तो उसे अपने खुद के लिए समय निकाल लेना चाहिए। और पैसा कमाने की चाहत ना रखते हुए, खुद की खुशी के लिए जीना शुरू कर देना चाहिए।
अपनी कोई पुरानी चाहत पूरी करनी चाहिए। बचपन का कोई अधूरा शौक, जवानी की कोई ख्वाहिश या फिर कुछ भी ऐसा जो दिल को तसल्ली दे सके।
किसी ऐसे के साथ वक्त बिताना चाहिए जिसे आप खुशी दे सकें और बदले में उससे भी वही हासिल कर सकें।
क्योंकि जो पैसा सारी जिंदगी मैंने कमाया उसे मैं साथ लेकर नहीं जा सकता। अगर मैं कुछ लेकर जा सकता हूं तो वे हैं यादें। ये यादें ही तो हमारी ‘अमीरी’ होती है, जिसके सहारे हम सुकून की मौत पा सकते हैं।
क्योंकि ये यादें और उनसे जुड़ा प्यार ही एकमात्र ऐसी चीज है जो मीलों का सफर तय करके आपके साथ जा सकती हैं। आप जहां चाहे इसे लेकर जा सकते हैं। जितनी ऊंचाई पर चाहें ये आपका साथ दे सकती हैं। क्योंकि इन पर केवल आपका हक़ है।
जीवन के इस मोड़ पर आकर मैं बहुत कुछ महसूस कर सकता हूं। जीवन में अगर कोई सबसे महंगी वस्तु है, तो वह शायद ‘डेथ बेड’ ही है। क्योंकि आप पैसा फेंककर किसी को अपनी गाड़ी का ड्राइवर बना सकते हैं।
जितने मर्जी नौकर-चाकर अपनी सेवा के लिए लगा सकते हैं। लेकिन इस डेथ बेड़ पर आने के बाद कोई दिल से आपको प्यार करे, आपकी सेवा करे, यह चीज आप पैसे से नहीं खरीद सकते।
आज मैं यह कह सकता हूं कि हम जीवन के किसी भी मोड़ पर क्यों ना हों, उसे अंत तक खूबसूरत बनाने के लिए हमें लोगों का सहारा चाहिए। पैसा हमें सब कुछ नहीं दे सकता।
मेरी गुजारिश है आप सबसे कि अपने परिवार से प्यार करें, उनके साथ वक्त बिताएं, इस बेशकीमती खजाने को बर्बाद ना होने दें। खुद से भी प्यार करें”।
ये थे स्टीव जॉब्स द्वारा साझा किए गए वो शब्द, जो हमें जिंदगी के सही मायने बताते हैं। उनके अनुसार पैसा जरूरी तो है, लेकिन वह हमारा जीवन नहीं है।
हमें हमारे अपने लोग ही जिंदगी देते हैं। और केवल वही हैं जो हमें चैन से मरने का अवसर भी देते हैं।
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