Think and Grow Rich || सोचो और आमिर हो जाओ! || One Rule Which can Make y...
Think and Grow Rich
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Friends, in this book, many theories have been explained. I
would like to judge one of them here I am going to tell through a story, how a
person made millions of rupees from this principle.
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सोचो और अमीर हो जाओ
क्या सोचने भर से कोई अमीर हो सकता है
इसका जवाब है हां
दोस्तों आजकल में एक पुस्तक पढ़ रहा था जिसका शीर्षक है थिंक एंड ग्रो रिच यह पुस्तक नेपोलियन हिल के द्वारा लिखी गई है!
इस पुस्तक में कई ऐसे कहानियों, कई टेक्निक्स का जिक्र किया गया है जिसका अगर हम वाकई पालन करें या दृढ़ता के साथ पालन करें तो एक दिन हम वह बन सकते हैं जो हम सोचते हैं हम वह सब पा सकते हैं जिसकी हम कल्पना करते हैं!
इस पुस्तक में एक प्रसिद्ध विचार है:-
“आप अपने भाग्य के मालिक हैं
आप अपने वातावरण को प्रभावित, निर्देशित और नियंत्रित कर सकते हैं
आप अपने जीवन को वह बना सकते हैं, जो आप इसे बनाना चाहते हैं”
दोस्तों इस किताब में कई सारे सिद्धांतों (Principles) को
explain किया
गया
है!
उनमे एक का मैं यहाँ पर जिक्र करना चाहूंगा!
एक कहानी के द्वारा आपको बताने वाला हूं एक व्यक्ति ने किस तरह इस प्रिंसिपल के द्वारा कई अरबों की संपत्ति इकट्ठी की
तो दोस्तों सबसे पहला सिद्धांत है इच्छा,
हमारे जीवन का हर काम इच्छा से ही शुरू होता है, इच्छा
यानी
सभी
उपलब्धियों
का
प्रारंभिक
बिंदु!
यह कहानी है एक आदमी की जिसका नाम था एडमिन सी बार्नस वह
एक गरीब आदमी था लेकिन उसकी एक असाधारण इच्छा थी!
वह महान एडिसन यानी थॉमस अल्वा एडिसन के साथ काम करना चाहता
था यानी उनका बिज़नेस साझेदार बनना चाहता था!
इस इच्छा को पूरा करने के लिए उसके रास्ते में दो मुश्किलें
खड़ी थी पहली वह श्रीमान एडिसन को नहीं जानता था और दूसरी जहां एडिसन रहते थे वहां
जाने के लिए उसके पास किराए तक नहीं था!
इस तरह की परेशानियां अधिकतर आदमियों को अपनी इच्छा पूरी
करने के किसी भी प्रयास को हतोत्साहित करने के लिए काफी थी लेकिन उनकी इच्छा साधारण
नहीं थी!
जब वहां पहली बार एडिसन के सामने प्रस्तुत हुआ तो उसे बहुत
ही मामूली मजदूरी पर एडिसन के कार्यालय में काम करने का अवसर मिला वह काम जो एडिसन
के लिए महत्वहीन था लेकिन बार्नस के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण था क्योंकि इसी रास्ते
वह अपना लक्ष्य प्राप्त कर सकता था!
काम करते करते महीनों गुजर गए उस लक्ष्य को जो बार्नस ने
अपने दिमाग में संजोया था उसे पाने के बारे में कुछ भी नहीं हुआ लेकिन बार्नस के मन
में कुछ महत्वपूर्ण घटित हो रहा था एडिसन का सहयोगी बनने की अपनी इच्छा को वह लगातार
तेज कर रहा था!
यहां पर एक मनोवैज्ञानिक पहलू काम करता है जब कोई किसी
एक बात के लिए सच में तैयार होता है तो यह उसकी प्रकृति में झलकने लगता है उसने यह
कभी नहीं कहा कि मैं अपना मन बदल लूंगा और एक सेल्समैन की
नौकरी पाने का प्रयास करूंगा बल्कि उसने यह कहा था कि मैं यहां एडिसन के साथ व्यापार
करने आया हूं और यदि इसमें मेरा शेष जीवन भी लगता है तो मैं इसे अंत तक पूरा करूंगा!
एडिसन ने अभी-अभी एक नया अविष्कार “डिटेक्टिंग मशीन” बनाई
थी उनके सेल्समैन इस मशीन से उत्साहित नहीं थे उन्हें विश्वास नहीं था कि इसे बड़े
प्रयासों के बिना बेचा जा सकता है
इसी समय बार्नस ने अपना अवसर देखा और एडिसन सामने प्रस्तुत
हुआ वह जानता था कि वह एडिसन की “डिटेक्टिंग मशीन” बेच सकता है उसने एडिशन को सुझाव दिया और कहा कि
वह मशीन बेच सकता है
और उसने इन मशीनों को इतनी सफलतापूर्वक बेचा कि एडिशन ने
उसे देशभर में मशीन वितरित करने और बेचने का एक अनुबंध दे दिया यह एक प्रसिद्ध व्यापारी
साझेदारी बन गई, यह गठबंधन 30 से अधिक वर्षों तक चला और इसी के जरिए बार्नस ने अपने
आप को अमीर बनाया
बार्नस सफल रहे क्योंकि उन्होंने अपनी सारी इच्छा शक्ति,
अपने सारे प्रयास, अपना सब कुछ उस लक्ष्य के पीछे लगा दिया!
वह आने के दिन से ही एडिसन के साझेदार नहीं बन गए थे उन्होंने
पहले सेवक के काम से शुरुआत की उन्होंने तब तक काम किया जब तक कि वह अपने लाए गए लक्ष्य
की ओर यह कदम उठाने का अवसर प्रदान करता वे इस अवसर की तलाश में थे उसके होने के पहले
5 साल बीत गए थे उन सभी वर्षों के दौरान आशा की एक भी किरण नहीं थी!
उनकी इच्छा की प्राप्ति का उनसे एक भी वादा नहीं किया गया
था पर पहले दिन से ही एडिसन के साझीदार बनने की इच्छा हर समय उनके मन में थी!
यह प्रबल इच्छाशक्ति का एक उल्लेखनीय उदाहरण है बार्नस
ने अपने लक्ष्य को जीता क्योंकि वह और जो कुछ भी चाहते थे उसकी तुलना मैं उनका एडिसन
के साथ व्यापारी साझेदार बनना काफी अधिक था!
इसे पाने के लिए उन्होंने एक योजना बनाई उन्होंने अपने
पीछे हटने के सभी विकल्पों को जला दिया!
वह अपनी प्रबल इच्छा के साथ खड़े थे यह उनके जीवन का एक
हावी जुनून और अंत में एक तथ्य बन गया उन्होंने ऐसा नहीं सोचा था कि मैं कुछ महीनों
वहां काम करूंगा और यदि मुझे कोई प्रोत्साहन नहीं मिला तो मैं उसे छोड़ दूंगा और कहीं
और एक नौकरी ढूंढ लूंगा!
बल्कि उन्होंने ऐसा कहा कि मैं कहीं भी शुरू कर दूंगा मैं
वह कुछ सब करूंगा जो एडिसन मुझे करने के लिए कहेंगे!
लेकिन अंत से पहले मैं उनका साझेदार बन जाऊंगा उन्होंने
कहा इस दुनिया में बस एक ही चीज है जिसे पाना मैंने निर्धारित किया है और वह है एडिसन
का साझेदार बनना!
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